Sunday, September 13, 2015
Friday, September 11, 2015
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा: गीत एवं बोल
अगर हम हिन्दी भाषा की सुंदरता को समझना चाहते है तो हिन्दी गीत संगीत से ज़यादा और क्या अछा
हो सकता है. और ख़ास तौर पे पुराने गीत जिन्हे अपनी मधुर आवाज़ से संजोया है किशोर और लता जी
जैसे महान गायको ने. उनकी ही आवाज़ में गाया हुआ गीत आज आपके सामने पेश है.
हो सकता है. और ख़ास तौर पे पुराने गीत जिन्हे अपनी मधुर आवाज़ से संजोया है किशोर और लता जी
जैसे महान गायको ने. उनकी ही आवाज़ में गाया हुआ गीत आज आपके सामने पेश है.
गीतकार : -, गायक : आशा - किशोर
संगीतकार : रवी,
चित्रपट : दिल्ली का ठग (१९५८)
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा
कहा दो दिलों ने, के मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा
कहा दो दिलों ने, के मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा
ये क्या बात है, आज की चाँदनी में
के हम खो गये, प्यार की रागनी में
ये बाहों में बाहें, ये बहकी निगाहें
लो आने लगा जिंदगी का मज़ा
सितारों की महफ़िल नें कर के इशारा
कहा अब तो सारा, जहां है तुम्हारा
मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो
करे कोई दिल आरजू और क्या
कसम है तुम्हे, तुम अगर मुझ से रूठे
रहे सांस जब तक ये बंधन ना टूटे
तुम्हे दिल दिया है, ये वादा किया है
सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा
समाप्त !!!
किंतु आज कल के गायक भी कुछ कम नही है. वो भी पुराने गीतो की शोभा को कायम रखते ऊए नये
तरीक़ो से गीतों को प्रस्तुत करते है. इसी गीत को गया है सनम पुरी ए सिमरन सहगल ने.
तरीक़ो से गीतों को प्रस्तुत करते है. इसी गीत को गया है सनम पुरी ए सिमरन सहगल ने.
Subscribe to:
Posts (Atom)